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Monday 13 August 2012

सन्धि

संस्कृतहिन्दी एवं अन्य भाषाओं में जब दो शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनता है तो इसे सन्धि कहते हैं। सन्धि मे दो शब्द या पद एक-दुसरे से जुड़कर एक नए शब्द का निर्माण करते है। सन्धि का अर्थ ही जोड़ना (Joint) होता है


सन्धि के भेद - 

सन्धि के तीन भेद होते है
  1. स्वर सन्धि
  2. व्यंजन सन्धि
  3. विसर्ग सन्धि

01 - स्वर सन्धि

दो स्वरों के मेल से जो विकार उत्पन होता हे उसे स्वर सन्धि कहते है। स्वर सन्धि के पांच भेद होते है
  1. दीर्घ सन्धि
  2. गुण सन्धि
  3. वृद्धि सन्धि
  4. यण् सन्धि
  5. अयादि सन्धि

दीर्घ सन्धि

अकार आदि समान स्वरों के मेल से दीर्घ स्वर बन जाता है। यथा–
  1. अ +आ= आ — हिम + आलय = हिमालय
  2. आ + अ = आ — विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
  3. इ + इ = ई — गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
  4. इ + इ = ई — गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र
  5. ई + ई = ई — नदी + ईश = नदीश
  6. ऊ + उ = ऊ — वधू + उत्सव = वधूत्सव

गुण सन्धि

भिन्न स्वरों के मेल से गुण सन्धि होती है। इसके कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं-
(1) जब ह्रस्व या दीर्घ "अ" के बाद ह्रस्व या दीर्घ "इ" आए तो दोनों के स्थान पर "ए" हो जाता है । जैसे-
  1. अ+ इ = ए — भारत + इन्दु = भारतेन्दु
  2. आ+ ई = ए — रमा + ईश = रमेश
(2) जब ह्रस्व या दीर्घ "अ" के बाद ह्रस्व या दीर्घ "उ" आए तो दोनों के स्थान पर "ओ" हो जाता है । जैसे-
  1. आ + उ = ओ — महा + उदय = महोदय
(3) जब ह्रस्व या दीर्घ "अ" के बाद ह्रस्व या दीर्घ "ॠ" आए तो दोनों के स्थान पर "अर्" हो जाता है । जैसे-
  1. आ + ऋ = अर् — महा + ऋषि = महर्षि

वृद्धि सन्धि

इस सन्धि को हल करने के दो नियम है ।
(1) जब ह्रस्व या दीर्घ "अ" के बाद "ए" या "ऐ" आए तो दोनों के स्थान पर "ऐ" हो जाता है । जैसे-
  1. अ+ ऐ = ऐ — मत + ऐक्य = मतैक्य
  2. आ +ए = ऐ — सदा + एव = सदैव
  3. अ+ ऐ = ऐ — तथा + एव = तथैव 
  4. अ+ ऐ = ऐ —एक + एक = एकैक 
(2) जब ह्रस्व या दीर्घ "अ" के बाद "ओ" या "औ" आए तो दोनों के स्थान पर "औ" हो जाता है । जैसे-
  1. अ + औ = औ — वन + औषधि= वनौषधि
  2. आ + औ = औ — महा + औषधि = महौषधि

यण् सन्धि

जब "उ" या "ऊ" के बाद "उ" या "ऊ" के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आए तो "उ" या "ऊ" के स्थान पर "व" हो जाता है । जैसे-
  1. सु + आगत = स्वागत
  2. वधू + आगमन = वध्वागमन
  3. गति + अवरोध = गत्यवरोध 
  4. अति + आचार = अत्याचार 
  5. सु + अच्छ = स्वच्छ 

अयादि सन्धि

जब "ए", "ऐ", "ओ" एवं "औ" के बाद कोई अन्य स्वर आए तो इनके स्थान पर क्रमशः "अय्", "आय्", "अव्" "आव्" हो जाता है । जैसे-
  1. ने +अन =नयन
  2. पो + अन = पवन
  3. नौ + इक = नाविक
  4. पो+इत्र = पवित्र 
  5. भो + इश्य = भविष्य

02 - व्यंजन सन्धि

जब व्यंजन के पश्च्यात कोई स्वर या व्यंजन आये तो उस मेल से एक नया शब्द बनता है इस तरह के मेल को व्यंजन सन्धि कहते हैं। जैसे-

  1. भगवद् + गीता = भगवद्गीता
  2. जगत् + ईश्वर = जगदीशवर

03 - विसर्ग सन्धि

विसर्ग ( पहले शब्द के अंत में स्थित शब्द को विसर्ग कहते है ) के साथ किसी स्वर अथवा व्यंजन के मेल को विसर्ग सन्धि कहते है। जैसे-

  1. नि: + चल = निश्चल 
  2. दु: + बल = दुर्बल 
  3. मन: + योग = मनोयोग 
  4. सर: + ज = सरोज 
  5. नि: + रस = नीरस 


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