भाषा और व्याकरण एक परिचय -
भाषा और व्याकरण को समजने से पहले हमे यह समजना होगो की इन दोनों मे क्या फर्क होता है।
भाषा - भाषा वह साधन है। जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और दूसरों के विचार जान सकते है। किसी भी भाषा के लिखने, पढ़ने और बोलने के निश्चित नियम होते हैं इन नियमो को व्याकरण कहते है। भाषा दो प्रकार की होती है।
- मौखिक भाषा - जब दो व्यक्ति आमने सामने बैठ कर विचार विमर्श करते है तो उसे मौखिक भाषा कहते है।
- लिखित भाषा - जब एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को पत्र एव पत्रिकाओं द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उस भाषा का लिखित भाषा कहते हैं।
व्याकरण - व्याकरण वह कला है जिसके द्वारा किसी भाषा को सही प्रकार से लिखना, पड़ना और बोलना सीखते है। प्रत्येक भाषा के लिखने, पढ़ने और बोलने के निश्चित नियम होते हैं जो भाषा को समजने योग्य बनाते है। ये नियम ही व्याकरण कहलाते है।
व्याकरण को दो भागो मे बाटा गया है।
- वर्ण भाग - वह मूल ध्वनि है जिसका स्वरूप अखंड रहता है और जिसे भंग नहीं किया जा सकता है। जैसे- अ, इ, क, व, स, च आदि।
- शब्द भाग - अक्षरों के समूह को, जिसका कि कोई अर्थ निकलता है, शब्द कहते हैं। उदाहरण के लिए प , व तथा न के मेल से 'पवन' बनता है।
हिंदी वर्णमाला (स्वर वा व्यंजन) -
हिंदी वर्णमाला मे दो तत्व है - स्वर और व्यंजन शब्दों को बनाने के लिए इन्ही का उपयोग किया जाता है।
स्वर - हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध के होता है। ये ग्यारह स्वर निम्नलिखित हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि।
व्यंजन - इनका उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है। हिंदी मे कुल 33 व्यंजन होते है तथा 'अ' के उच्चारण के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं।
इनकी तीन भाग होते है
- स्पर्श व्यंजन - क, ख, ग, घ, ड, च, छ, ज, झ, त्र, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म आदि
- अंत:स्थ व्यंजन - य र ल व
- उष्म व्यंजन - छ त्र ज्ञ ड ढ
संज्ञा (Noun) -
किसी भी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे- राम, भारत,गंगा,नारी, बहन आदि।
संज्ञा के भेद - सज्ञा के कुल ६ भेद बताये गए हैं-
- व्यक्तिवाचक: जिस शब्द से किसी एक व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो जैसे- गंगा,गाँधी,दिवाली, राम, भारत, सूर्य आदि।
- जातिवाचक: जिनसे एक प्रकार की वस्तुओ अथवा व्यक्तियों का बोध हो जैसे- बकरी,घर,नदी,जानवर, पहाड़, कंप्यूटर आदि।
- समूह वाचक: जिस शब्द से किसी समूह का बोध हो जैसे- रैली,सेना,झुण्ड, कक्षा, बारात, भीड़, आदि।
- द्रव्य वाचक: ऐसी वस्तु जिनेह नापा या तोला जा सके जैसे- पानी,लकड़ी,तेल, लोहा, मिट्टी, खाद या उर्वरक आदि।
- संख्या वाचक: जैसे- दर्जन, जोड़ा, पांच, हज़ार आदि।
- भाववाचक: जैसे- मम-ममता, बुडा-बुढापा, दूर-दूरी आदि।
सर्वनाम (Pronoun) -
जो शब्द सज्ञा के स्थान पर प्रयोग होते है। उनेह सर्वनाम कहते है। जैसे- मै, तुम, वह, आप, यह, वे, आदि।
सर्वनाम के भेद - सर्वनाम के भेद सर्वनाम के छह प्रकार के भेद हैं।
- पुरुषवाचक (व्यक्तिवाचक्) सर्वनाम - पुरुषवाचक सर्वनाम पुरषों या स्त्रियो के नामो के बदले प्रयोग मे आते है जैसे- मै, हम (उत्तम पुरुष) तू, तुम, आप (मध्यम पुरुष) वह, वे, यह, वे (अन्य पुरुष) आदि।
- निश्चयवाचक सर्वनाम - निश्चयवाचक सर्वनाम मे वकता के पास या दूर की किसी वस्तु का बोध होता है उदाहरण- यह कोई नया काम नहीं, रोटी मत खाओ वह जली हुई है
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम - जिन सर्वनाम शब्दों के द्वारा किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध न हो वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- ‘कोई’ और ‘कुछ’ आदि।
- संबन्धवाचक सर्वनाम - परस्पर सबन्ध बतलाने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है उन्हें संबन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - जो सोएगा, सो खोएगा; जो जागेगा, सो पावेगा ।
- प्रश्नवाचक सर्वनाम - जो सर्वनाम संज्ञा शब्दों के स्थान पर भी आते है और वाक्य को प्रश्नवाचक भी बनाते हैं, वे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- क्या, कौन आदि।
- निजवाचक सर्वनाम - निश्चयवाचक सर्वनाम मे वकता स्वयं का ही उल्लेख करता है उदाहरण- अपनों से बड़ो का आदर करो, मै आप ही चला आया था आदि।
विशेषण (Adjective) -
जो शब्द सज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते है उनेह विशेषण कहते है जैसे-कला आदमी, कला घोडा,बुरा लड़का, सुंदर लड़की आदि।
क्रिया (Verb) -
कार्य का बोध कराने वाले शब्द को क्रिया कहते हैं। जैसे- पड़ना, लिखना, चलना, गाना आदि।
क्रियाएं दो प्रकार की होतीं हैं-
- सकर्मक क्रिया - जिस क्रिया में कोई कर्म होता है उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण - खाना, पीना, लिखना आदि।
- अकर्मक क्रिया - इसमें कोई कर्म नहीं होता। जैसे- हंसना, रोना आदि। बच्चा रोता है। इस वाक्य में क्या का उत्तर उपलब्ध नहीं है।
सहायक क्रिया (Helping Verb) -
सहायक क्रिया के प्रयोग से वाक्य का अर्थ और अधिक स्पष्ट हो जाता है। इससे वाक्य के काल (Present, Past and Future ) का तथा कार्य स्थिति का पता चलता है। जैसे- है, था, गा, होंगे आदि शब्द सहायक क्रिया हैं।
क्रिया विशेषण (Verb Adjective) -
जिस शब्द से क्रिया, विशेषण तथा अन्य क्रिया-विशेषण शब्दों की विशेषता प्रकट हो उसे क्रिया-विशेषण कहते है। जैसे-
गीता धीरे-धीरे आ रही है, पवन अभी खा रहा है। आदि
इन वाक्यों मे 'धीरे-धीरे' तथा 'अभी' 'आने' तथा 'खाने' की क्रिया की विशेषता बताते है।
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