छेत्रिया ग्रामीण बैंक -
भारत मे ग्रामीण साख की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 26 सितम्बर, 1975 को छेत्रिया ग्रामीण बैंक की घोषणा की तथा सर्वप्रथम देश मे 2 अक्टूबर, 1975 को पाँच छेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थापित किये गए इन बैंको की स्थापना का मुख्य उद्देश्य छोटे किसानो, मजदूरों तथा छोटे व्यापारियों को उधार एव अन्य वित्तीय मदत (Financial Help) देना था
अधिकृत पूंजी (Authorized Capital)- 1 करोड़,
जारी और चुकता पूंजी (Issued and Paid up Capital)- 25 लाख,
तथा राज्य सरकार द्वारा 15 % और लीड बैंक द्वारा 35 % का सहयोग दिया गया
छेत्रिया ग्रामीण बैंको के कार्य -
छेत्रिया ग्रामीण बैंको के कार्य निम्न प्रकार है
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भारत मे ग्रामीण साख की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 26 सितम्बर, 1975 को छेत्रिया ग्रामीण बैंक की घोषणा की तथा सर्वप्रथम देश मे 2 अक्टूबर, 1975 को पाँच छेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थापित किये गए इन बैंको की स्थापना का मुख्य उद्देश्य छोटे किसानो, मजदूरों तथा छोटे व्यापारियों को उधार एव अन्य वित्तीय मदत (Financial Help) देना था
- जयपुर (राजस्थान)-United Commercial Bank
- भिवानी (हरियाणा)-Punjab National Bank
- माल्दा (पश्चिम बंगाल)-United Bank Of India
- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)-State Bank Of India (SBI)
- मुरादाबाद(उत्तर प्रदेश)-Syndicate Bank
अधिकृत पूंजी (Authorized Capital)- 1 करोड़,
जारी और चुकता पूंजी (Issued and Paid up Capital)- 25 लाख,
तथा राज्य सरकार द्वारा 15 % और लीड बैंक द्वारा 35 % का सहयोग दिया गया
छेत्रिया ग्रामीण बैंको के कार्य -
छेत्रिया ग्रामीण बैंको के कार्य निम्न प्रकार है
- जमा राशी स्वीकार करके ग्रामीण बचत को जुटाना तथा इस राशी को ग्रामीण छेत्रो मे उपयोग करना
- ग्रामीण छेत्रों मे रोजगार के अवसर प्रदान करना
- कम दरो पर Financial Help देना
- ग्रामीणों की समस्या दूर करने के लिए सेवा समितियाँ (Services Committees) बनाना
- ज्यादा कार्य होने के कारण Co-Ordination की समस्य का होना
- योग्य और समझदार अधिकारियो की कमी
- कम पूंजी के कारन ऋण बाटने मे आपूर्ति
- ऋण की कम वसूली (Poor Recovery)
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